दिल्ली: बीते 10 फरवरी को अनुज बाजपाई नाम के एक ट्विटर यूजर ने, मुस्लिमों के पवित्र ग्रन्थ कुरान को लेकर विवादित टिप्पणी कर दी थी. जिसके बाद से सोशल मीडिया में काफी हंगामा मच गया था, और लोग अनुज बाजपाई नाम के इस व्यक्ति को पुलिस से गिरफ्तार करने की मांग करने लगे थे. ये उत्तर प्रदेश के रहनेवाला है और लगभग सारे दिन ट्विटर पर एक्टिव रहता है.
अनुज बाजपाई नाम के इस युवक को गिरफ्तार करवाने के लिए ट्विटर पर ट्रेंड भी चला था. अनुज बाजपाई नाम के इस व्यक्ति ने जब पहली बार कुरआन को लेकर अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल किया था, जिसके बाद काफी लोग नाराज़ होकर इसको समझाने और फटकार लगाने लगे.
अधिकतर मुस्लिमों के खिलाफ होते हैं अनुज बाजपाई के ट्वीट
आपको बता दें कि पूरा मामला क्या है. दरअसल ट्विटर पर अनुज बाजपेई नाम के इस हैंडल पर 10 फ़रवरी 2020 को 1 बजकर 58 मिनिट पर एक ट्वीट किया गया था. हालांकि अब यह ट्वीट उसकी वॉल पर मौजूद नहीं है.
पवित्र ग्रन्थ क़ुरान को लेकर किया विवादित ट्वीट
इसमें अनुज ने लिखा था “याद रखना कोरोनावायरस क़ुरान से भी भयंकर है, और भारत में 20 करोड़ से भी अधिक इससे संक्रमित हैं.
इसके बाद इसने कुछ और भी Tweet किये थे. अगर इसके ट्विटर हेंडल पर जाकर देखा जाय तो इसके अधिकतर ट्वीट पार्टी विशेष के समर्थन में और मुस्लिमों से नफरत भरे, उनपर कटाक्ष करने वाले ट्वीट देखने को मिलेंगे.
इस अनुज बाजपाई ने अपने ट्विटर हेंडल पर अपने आपको उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय की सपोर्ट टीम का एक हिस्सा बताया हुआ है. इसके कुछ और नफरत भरे ट्वीट का स्क्रीनशॉट आप नीचे देख सकते हैं.
अनुज बाजपेई नाम के व्यक्ति ने यह ट्वीट सीधा-सीधा भारतीय मुसलमानों को लेकर किया था. जब इसने ट्वीट किया तो देखते ही देखते यह वायरल होने लगा और भारतीय मुसलमानों समेत खाड़ी देशों के लोग भी इसके ट्वीट को देखकर भड़क उठे.
इसके बाद उत्तर प्रदेश पुलिस से इस युवक को गिरफ्तार करने की मांग की जाने लगी. हालाँकि ये बात अलग है कि उत्तर प्रदेश पुलिस धर्म देखकर कार्यवाही करती है. इसके बारे में एक गैर मुस्लिम युवक ने तवीत भी किया हुआ है.
चारों और से चौतरफा दबाब और FIR या पुलिस कार्यवाही हो जाने के दर से इसने उस ट्वीट को डिलीट कर दिया, और ट्विटर पर माफीनामे के रूप में एक तवीत कर दिया. जिसका स्क्रीनशॉट आप नीचे देख सकते हैं.
अनुज बाजपाई का माफी मांगने वाला ट्वीट
अनुज ने अपने तवीत में लिखा हुआ है… मेरे कोरोना वायरस वाले ट्वीट को गलत समझा गया है, मेरा उसे कुरान से जोड़ने का मकसद किसी के धार्मिक भावनाओं को ठेस पोहचाना नही बल्की यह बताना है कि मुस्लिम माँस ज्यादा खाते है, सतर्क रहे। माँसाहारी से ही वायरस ज्यादा फैल रहा है। अगर किसी के धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुची हो तो क्षमा।
इसके साथ ही इसने Twitter के बायो में अपना परिचय बदल लिया है, ऐसा इसने किसी के कहने पर किया या फिर अपने ऊपर किसी तरह की कार्यवाही हो जाने के दर से यह अभी तक खुलासा नहीं हुआ है. अब बदले हुए अपने बायो में अनुज बाजपाई ने अपने आपको ‘उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय की सपोर्ट टीम का हिस्सा’ हटा लिया है.
हालाँकि कुछ लोग इसके माफी मांगे जाने के बावजूद इसकी गिरफ्तारी को लेकर अभी भी कार्यवाही करने की मांग कर रहे हैं. ये पुलिस की छानबीन होने के बाद ही पता चलेगा कि यह उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के लिए क्या काम करता था.
सोशल मीडिया पर ट्रोलर से तंग सभी
ट्विटर पर लोग त्रोलेर एक दूसरे का मजाक उड़ाते हैं, या उन पर फब्तियां कसते हैं, लेकिन इन ट्रोलर का कोई बुरा नहीं मानता. इन ट्रोलर से सभी पॉलीटिकल पार्टी वाले और नामी हस्तियां परेशान हैं। लेकिन सोशल मीडिया पर, अभिव्यक्ति की आजादी के कारण इन सब पर कार्यवाही करना संभव नहीं होता है.
लेकिन जब बात किसी की धार्मिक भावनाओं को भड़काने की हो तो ऐसे में पुलिस कारवाही करती है. जब इस पर कायवाही की मांग की जा रही थी तब, इसके समर्थन में कई हिंदूवादी विचारधारा रखने वाले लोग भी उतर आए थे. और उन्होंने इसके समर्थन में भी ट्रेंड चलाना शुरू कर दिया था.
अपने आपको उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय की सपोर्ट टीम का एक हिस्सा बताने वाला ये अनुज बाजपाई योगी सरकार के लिए किस तरह का काम करता है ये जांच के बाद सामने आयेगा.
कुछ लोगों का मानना है कि ये भाजपा IT सेल का भाड़े का टट्टू है. जो चाँद पैसों के लिए अपने ट्विटर के फोलोवारों को ट्विटर पर हेश टैग ट्रेंड करवाने का काम करता है. कुछ भी हो ऐसे दूषित मानसिकता रखने वाले लोग वाकई में इस देश के लिए खतरा हैं.
ऐसे लोगों की वजह से ही देश में लोगों के बीच मनमुटाव फैलते हैं. ट्विटर पर कई सांप्रदायिक सौहार्द को बिगाड़ने वाले ऐसे Twitter हैंडल अभी मौजूद हैं.
लोग इस अनुज बाजपाई के ट्विटर हैंडल को भी सस्पेंड करने को लेकर मांग उठा रहे थे। इसके अलावा उत्तर प्रदेश पुलिस पर भी सवाल उठा रहे थे कि क्या पुलिस सिर्फ मजहब देखकर ही कार्यवाही करती है।