कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन का आज 19वां दिन है। आज किसानों की देशभर में भूख हड़ताल जारी है. दिल्ली की सीमाओं पर सैकड़ों किसान संगठन अनशन पर बैठ गए हैं और केंद्र सरकार से कृषि कानून वापस लेने की मांग कर रहे हैं. वही किसानों द्वारा आज कई हाइवे भी जाम किए जा रहे हैं और नेताओं के घेराव का प्लान तैयार किया है. किसानों की भूख हड़ताल को आम आदमी पार्टी समेत अन्य राजनितिक पार्टियों ने भी अपना समर्थन दिया है।
आपको बता दें कृषि कानूनों के खिलाफ किसान संगठन आज सुबह 8 बजे से भूख हड़ताल पर हैं। जो शाम पांच बजे तक करेंगे। इसके अलावा आज देशभर के जिलों में किसान कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन भी कर रहे हैं। बता दें इससे पहले किसानों ने 13 दिसंबर को दिल्ली-जयपुर हाईवे बंद कर दिया था जिसके चलते पूरे दिन हाईवे पर जाम की स्थिति बनी रही।
गौरतलब है की, देशभर में किसानों का आंदोलन लगातार तेज होता जा रहा है। रविवार को राजस्थान से दिल्ली कूच कर रहे किसानों को हरियाणा बॉर्डर पर रोक लिया गया। और किसान वहीं धरने पर बैठ गए हैं। किसानों के तेज होते आंदोलन के चलते केंद्र सरकार की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं।
कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर(दिल्ली-हरियाणा) पर किसानों का विरोध प्रदर्शन आज 19वें दिन भी जारी है। किसान नेता आज कानूनों के विरोध में भूख हड़ताल कर रहे हैं। #FarmLaws pic.twitter.com/URYw8gxQja
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 14, 2020
आपको बता दें कृषि कानूनों में संशोध को लेकर सरकार ने किसानों से कई बार बात करि यकीन किसानों ने सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया हैं। किसान कृषि कानूनों को वापस लिए जाने की मांग पर अड़े हुए हैं। यही वजह है की सरकार में बेचैनी साफ दिख रही है।
उत्तर प्रदेश: कृषि कानूनों के विरोध में किसान नेता दलित प्रेरणा स्थल पर भूख हड़ताल पर बैठे। भारतीय किसान यूनियन लोकशक्ति के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा, “सरकार किसानों को आंदोलन में कुछ नया करने के लिए मजबूर न करे और जल्दी हमारी मांग मान ले।” #FarmersProtests pic.twitter.com/4jilqo7Snd
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 14, 2020
वही रविवार को भी केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने उत्तराखंड के कुछ किसान संगठनो से मुलाकात की थी तो बताया गया कि नए कृषि कानूनों का इन किसानों ने समर्थन किया। वहीं, गृह मंत्री अमित शाह ने भी पंजाब के बीजेपी नेताओं से फीडबैक लिया। तो सरकार ने अब नेताओं और किसान संगठनों से अलग-अलग बातचीत और फीडबैक लेना शुरू किया है।
कृषि कानूनों के खिलाफ जयसिंहपुर खेड़ा (राजस्थान-हरियाणा) बॉर्डर पर किसान डटे हुए हैं। किसानों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए बॉर्डर पर सुरक्षा बल तैनात किया गया है। #FarmersProtest pic.twitter.com/lHoRuHk1Qg
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 14, 2020
ऐसे में अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या आंदोलन से बेचैन मोदी सरकार किसानों के आंदोलन को कमजोर करना चाहती है? एक तरफ बेचैन सरकार किसानों के आंदोलन को एक वर्ग का आंदोलन बताकर कमोजर दिखाने की कोशिश कर रही हैं। वहीं, दूसरी ओर कृषि कानूनों के खिलाफ किसान एकजुट हो रहे हैं।