उत्तरपूर्वी दिल्ली में हुई मुस्लिम विरोधी हिं’सा की गूंज अब ब्रिटेन की संसद में भी सुनाई दे रही है। यहां मंगलवार को विपक्षी लेबर पार्टी, कन्जर्वेटिव पार्टी, लिबरल डेमोक्रेट्स और भारतीय मूल के कई सांसदों ने एक सुर में दिल्ली में हुई हिं’सा और नागरिकता संशोधन कानून (CAA) को लेकर भारत सरकार की जमकर आलोचना की और ब्रिटेन सरकार से इसपर कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है।
हाउस ऑफ कॉमन्स में सिख सांसद तनमनजीत सिंह और प्रीत गिल कौर ने दिल्ली हिं’सा का मुद्दा उठाते हुए पुरानी दर्दनाक यादों को ताजा किया जिसमे उनका इशारा सिख दं’गों की और था। तनमनजीत सिंह ने कहा, जब मैं भारत में था तो एक अल्पसंख्यक के तौर पर 1984 के सिख न’रसंहा’र का गवाह बना।
सिंह ने आगे कहा की हमें इतिहास से जरूर सीखना चाहिए, हमें उन लोगों के बहकावे में नहीं आना चाहिए जो समाज को बांटने का काम करते हैं, जो धर्म की आड़ में लोगों को मा’रना चाहते हैं और धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचाना चाहते हैं।
From removing Articles 370 & 35a from the Constitution to the CAA & the NRC, Modi & the BJP have been whipping up anti-Muslim hate. The violence in Delhi, where dozens have died, is the latest example of this.
Today I called on the government to speak out against this bigotry. pic.twitter.com/fcsCCgf6cd
— Zarah Sultana MP (@zarahsultana) March 3, 2020
तनमनजीत सिंह ने कहा, मैं स्पीकर से यह पूछना चाहता हूं कि उन्होंने भारतीय मुस्लिमों के खिलाफ हो रही घटनाओं को लेकर भारतीय समकक्ष को क्या संदेश दिया है? एडबैस्टन से लेबर पार्टी की सांसद प्रीत गिल कौर ने पूछा, क्या मंत्री यह बता सकते हैं कि भारत में अल्पसंख्यकों की सुरक्षा के लिए वह क्या कदम उठा रहे हैं।
वही हाउस ऑफ कॉमन्स में लेबर पार्टी की सांसद नादिया व्हिटोम ने दिल्ली हिं’सा को हिंदुओं द्वारा मुसलमानों के क़’त्ले आ’म पर भारत की मोदी सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा कि दिल्ली हिं’सा को या दो समुदायों के बीच टकराव नहीं कहा जाना चाहिए। ये मुस्लिम और कई अल्पसंख्यक समुदायों पर जारी हिंदुत्ववादी हिं’सा का एक सिलसिला है, जिसे मोदी सरकार ने मंज़ूरी दी है।
Organised mob violence against any religious minority, as experienced in #Delhi in 1984 by #Sikhs and now Indian #Muslims, is utterly intolerable.
So I asked the Minister, what message is he sending to his counterpart, that the perpetrators must feel the full force of the law. pic.twitter.com/XU5kss8NKc
— Tanmanjeet Singh Dhesi MP (@TanDhesi) March 3, 2020
हाउस ऑफ कॉमन्स में लेबर पार्टी के ही सांसद खालिद महमूद ने पूछा कि दिल्ली में हुए दं’गों को लेकर यूके की सरकार क्या कर रही है। महमूद ने चे’तावनी दी कि नागरिकता कानून के बाद नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स आएगा और फिर मुस्लिमों को प्रत्यर्पित किए जाने से पहले उन्हें यातना कैंप में रखा जाएगा।
इन सवाल का जवाब में ब्रिटेन के विदेश एवं राष्ट्रमंडल कार्यालय (एफसीओ) के राज्य मंत्री निजेल एडम्स ने कहा कि ब्रिटेन मानवाधिकारों समेत सभी स्तरों पर भारत के साथ बातचीत कर रहा है। एडम्स ने कहा, ब्रिटेन सरकार कानून (सीएए) के संभावित प्रभाव को लेकर भी चिंतित है।
उन्होंने कहा की भारत सरकार के साथ हमारे करीबी रिश्तों की वजह से हम उनके साथ मुश्किल मुद्दों पर चर्चा कर पाते हैं और अल्पसंख्यकों के अधिकारों समेत अपनी चिंताएं उन्हें स्पष्ट कर पाते हैं। हम ऐसी घटनाओं पर करीब से निगाह रखना जारी रखेंगे और जब उनके साथ हमारी बात होगी तो उन्हें व्यक्त करेंगे।