हमारे देश एक रंगमंच है, जिसपर माइक लिए एक प्रधानमंत्री खड़ा है. और सके भोंपू की आवाज इतनी बुलंद है कि बाकी सभी आवाजें शुन्न पड़ जाती हैं. हाल ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुनिया भर में कोहराम मचा रहे कोरोना वायरस को देखते हुए देशभर में 21 दिन के लॉकडाउन का ऐलान किया है। इसके पीछे का मकसद सोशल डिस्टेंसिंग को सुनिश्चित करना था।
लेकिन लॉकडाउन के ऐलान के सिर्फ 3 दिन में ही भुखमरी के मुहाने पर पहुंचे सैकड़ो कामगार अपने घरों को पैदल कूच करने को मजबूर हैं। सरकार द्वारा दुकाने और विभिन्न संस्थानों को बंद करने के फैसले के बाद कई क्षेत्र के हजारों मजदूरों ने पलायन शुरू कर दिया है।
जिसमे ऑटो-रिक्शा और टैक्सी ड्राइवर से लेकर दिहाड़ी मजदुर अपने घर वापस जाने के लिए जुटे हुए हैं। वही एक ओर जहां सरकार ने कोविड-19 से बचने के लिए घरों के अंदर रहने की सलाह दी है, तो वहीं इन मजदूरों के घर वापसी के लिए इकट्ठा होने को मजबूर है।
दिल्ली के बॉर्डर पर त्रासद स्थिति पैदा हो चुकी है। हजारों की संख्या में लोग पैदल अपने घरों की तरफ निकल पड़े हैं। कोई साधन नहीं, भोजन नहीं।
कोरोना का आतंक, बेरोजगारी और भूख का भय इनके पैरों को घर गाँव की ओर धकेल रहा है।
मैं सरकार से प्रार्थना करती हूँ कृपया इनकी मदद कीजिए। pic.twitter.com/3vsfPDkOpS
— Priyanka Gandhi Vadra (@priyankagandhi) March 27, 2020
इन्ही में से एक वीडियो जो उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के उस दावे की पोल भी खोल रहा है जिसमें कहा गया था कि इन मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए सरकार हर सम्भब व्यवस्था कर रही है।
मुख्यमंत्री जी आपकी सारी घोषणाएं धरी की धरी रह गईं! अमल के नाम पर शुन्य बटे सन्नाटा! ये बेचारे कल भी पैदल थे और आज भी, कोई फर्क नहीं पड़ने वाला!! pic.twitter.com/uwSIHT2uac
— UP East Congress (@INCUPEast) March 27, 2020
दरअसल, कांग्रेस ने भी इस वीडियो ट्वीट कर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उस घोषणा की आलोचना की है जिसमें कहा गया था कि इन प्रवासी मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुंचाने की व्यवस्था की जा रही है।