नई दिल्ली,1 दिसम्बर 2020: किसान विरोधी कृषि कानून को लेकर देशभर में किसान आंदोलन चल रहा है वहीं अब इसकी गूंज सत्ता के गलियारों में भी गूंजने लगी है। हाल ही में किसान आंदोलन को लेकर पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों के बीच विवा’द छिड़ गया था वहीं अब राजस्थान से सांसद हनुमान बेनीवाल ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है।
आपको बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब और हरियाणा के किसान सड़कों पर उतरे हुए हैं। उनका कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए यह किसान विरोधी कृषि कानून सिर्फ कॉरपोरेट्स को फायदा पहुंचाने वाले हैं उनमें किसान का कोई भला नहीं है।
वहीं सरकार बार-बार यही कहती दिख रही है कि इन कृषि कानूनों से देश के किसानों की स्थिति में सुधार होगा और उनकी आय में वृ’द्धि होगी परंतु किसान यह मानने को तैयार नहीं है सड़कों पर उतरे किसानों की मांग है कि केंद्र सरकार अपने इन कृषि कानूनों को वापस ले जब तक यह कृषि कानून सरकार द्वारा वापस नहीं लिए जाते तब तक उनका यह आंदोलन जारी रहेगा।
इन दिनों सड़क से लेकर सोशल मीडिया तक किसान आंदोलन का मुद्दा गरमाया हुआ है। जहां एक ओर लोग सोशल मीडिया पर लगातार अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं वहीं देश के राजनेता भी ट्विटर पर एक दूसरे को आड़े हाथ ले रहे हैं। भी हाल ही में राजस्थान से सांसद और राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के संयोजक हनुमान बेनीवाल ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है।
श्री @AmitShah जी,देश मे चल रहे किसान आंदोलन की भावना को देखते हुए हाल ही में कृषि से सम्बंधित लाये गए 3 बिलों को तत्काल वापिस लिया जाए व स्वामीनाथन आयोग की सम्पूर्ण सिफारिशों को लागू करें व किसानों को दिल्ली में त्वरित वार्ता के लिए उनकी मंशा के अनुरूप उचित स्थान दिया जाए !
— HANUMAN BENIWAL (@hanumanbeniwal) November 30, 2020
उन्होंने कहा है कि केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले और अगर वह ऐसा नहीं करती है तो वे एनडीए छोड़ने पर विचार करेंगे। दरअसल हनुमान बेनीवाल ने गृहमंत्री अमित शाह को ट्वीट किया उन्होंने लिखा कि’ अमित शाह जी, देश मे चल रहे किसान आंदोलन की भावना को देखते हुए हाल ही में कृषि से सम्बंधित लाये 3 बिलों को तत्काल वापस लिया जाए।
स्वामीनाथन आयोग की सम्पूर्ण सिफारिशों को लागू करें व किसानों को दिल्ली में त्वरित वार्ता के लिए उनकी मंशा के अनुरूप उचित स्थान दिया जाए चूंकि, आरएलपी एनडीए का घटक दल है। लेकिन, आरएलपी की ताकत किसान व जवान हैं, इसलिए अगर इस मामले में त्वरित कार्रवाई नहीं की गई तो मुझे किसान हित मे एनडीए का सहयोगी दल बने रहने के विषय पर पुनर्विचार करना पड़ेगा।
आपको बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा लाये गए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में पिछले छे दिनों से किसान आंदोलन जारी है। हालांकि सरकार ने किसानों से बात करने की भी बात कही है।