नए कृषि कानून के खिलाफ किसान आंदोलन को आज 20 दिन हो चुके हैं। लेकिन अपनी मांग मनवाने के लिए धरने पर डटे हुए किसानों के जोश को सरकार के आंसू गैस के गो’ले या ला’ठी मार्च कम नहीं कर पाया है। बीते सोमवार 14 दिसंबर को किसानों ने भूख हड़ताल भी की। तथा किसानों ने किसी भी राजनीतिक पार्टी को उनके आंदोलन से दूर रहने की सलाह भी दी है।
देश में हक की लड़ाई के साथ साथ राष्ट्र विरोधी गतिविधियां और सियासत गरमाई हुई है। दिल्ली के साथ लगी सीमाओं पर किसानों द्वारा विरोध प्रदर्शन जोरों शोरों से जारी है। अब तक इस विरोध प्रदर्शन के खिलाफ तथा इसके समर्थन में कई बयान तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया वायरल हो रहे हैं।
इसी दौरान वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने भी भाजपा नेताओं और गोदी मीडिया को निशाना बनाते हुए एक ट्वीट किया है जो अब ट्रेंड कर रहा है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा है कि- अडानी और अंबानी के टुकड़ों पर पलने वाले लोग, आज हमारे किसानों को टुकड़े-टुकड़े गैं’ग कह रहे हैं।
यहाँ पर भाजपा नेता ”टुकड़े-टुकड़े गैंग” से देश के वामपं’थी नेताओं को संबोधित करते हैं। जो कि मोदी सरकार की जन विरोधी नीतियों का खुलकर विरोध करते हैं। भारतीय जनता पार्टी द्वारा इस विरोध को रोकने के लिए कई प्रयास किए जा चुके हैं। कुछ दिन पहले ही भाजपा नेता तथा केंद्रीय मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने कहा था कि टुकड़े टुकड़े गैं’ग द्वारा किसान आंदोलन का लाभ उठाया जा रहा है।
अदानी और अंबानी के टुकड़ों पर पलने वाले लोग, आज हमारे किसानों को टुकड़े-टुकड़े गैंग कह रहे हैं! 😛
— Prashant Bhushan (@pbhushan1) December 15, 2020
आपको बता दें इस आंदोलन को रोकने की भरपूर कोशिश की जा रही है और समझाइश जारी है। कभी किसान आंदोलन को पाकिस्तान तो कभी चीन द्वारा प्रायोजित बताया गया तो कभी प्रदर्शनकारियों को खालिस्तानी और आ तं’की कहा जा रहा है।
ऐसी परिस्थिति में भारतीय जनता पार्टी विपक्षी दलों के निशाने पर भी है। विपक्षी दलों ने बयान दिया कि वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव तथा वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान देश के कुछ चुनिंदा पूंजीपतियों द्वारा भाजपा को भारी मात्रा में चंदा दिया गया था। इस चंदे को भाजपा ने बढ़-चढ़कर चुनाव प्रचार के लिए खर्च किया है। जिसके लिए आज भाजपा देश को उनके हाथों में सौपना चाहती है।
इन सब के चलते ही देशभर के किसान सड़कों पर उतरे हुए हैं और मांग मनवाने के लिए डटे हुए हैं। साथ ही केंद्र सरकार के साथ-साथ देश के पूंजी पतियों का भी जमकर विरोध कर रहे हैं।
पोस्ट सोर्स: बोलता हिंदुस्तान