दिल्ली: (Farmers Protest Delhi 2020) लोकतंत्र और लाठी यह दोनों ही शब्द इन दिनों बहुत सुने जा रहे हैं, और चर्चा का मूल विषय तो यही रहता है कि आख़िर लोकतंत्र और लाठी में क्या अहम है। आपने एक कहावत तो खूब सुनी होगी जिसकी लाठी उसकी भैंस परंतु क्या यह कहावत लोकतंत्र में जायज है, इस वक़्त इस अहम् बात का फैसला कौन करेगा?
देश में इन दिनों किसान आंदोलन सबसे बड़ा मुद्दा है, जहाँ किसान अपनी मांगों पर अड़े हुए हैं वहीं सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी किसानों को लगातार आश्वासन देती ही दिख रही हैं कि ये तीनों कृषि कानून उनके हित में है । लेकिन किसान आंदोलन के बीच सरकार का रवैया काफी स’ख्त रहा था।
इतिहास में लिखा जाएगा ये बड़ा दिल्ली किसान आन्दोलन
सिधु बॉर्डर पर डटे पंजाब और हरियाणा के किसानों पर लाठी चार्ज की तस्वीरें पूरे देश ने देखी थीं, और सबके जहन में एक ही सवाल था कि क्या सरकार के लिए किसान की मांगे अहम नहीं है? क्या लोकतंत्र में किसानों को अपनी मांग रखने का अधिकार नहीं है, क्या लोकतंत्र में अधिकारों के लिए प्रदर्शन का जवाब अब सिर्फ लाठी ही रह गया है।
वहीं हाल ही में हुए एक और बड़े मुद्दे जिस पर सत्ताधारी पार्टी ने लोकतंत्र के ख’तरे जैसी बात कही थी और पार्टी के दिग्गज नेता भी प्रतिक्रिया देते दिखे थे।
लोकतंत्र की दुहाई देते फिरने वाले ये समय भी देखें
बता दें कि कुछ सप्ताह पहले रिपब्लिक टीवी (Republic TV) के पत्रकार अर्नब गोस्वामी (Arnab Goswami) को TRP घो’टाले में मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार कर किया था, जिस पर शिवसेना और भारतीय जनता पार्टी के बीच ती’खे प्रहा’र हुए थे।
अर्णव की गिरफ्तारी के बाद सिर्फ नेताओं के ही नहीं वरन मोदी सरकार में कई मंत्रियों के ट्वीट भी खूब वायरल हुए थे, जो उस समय अर्नब गोस्वामी का एक तरह से समर्थन करते नज़र अ रहे थे।
प्रकाश जावड़ेकर ने अर्नब गोस्वामी की गिरफ्तारी की निंदा
अरनव की गिरफ्तारी के बाद कई मंत्रियों ने इस पर ट्वीट किए थे, केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने भी ट्वीट करते हुए लिखा था कि हम महाराष्ट्र में प्रेस की आजादी पर हम’ले की निंदा करते हैं. यह प्रेस के साथ बर्ताव का तरीका नहीं है. यह हमें आपा’तकाल के उन दिनों की याद दिलाता है जब प्रेस के साथ इस तरह से व्यवहार किया गया था.”
वहीं इसके साथ ही विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी अरनव की गिरफ्तारी पर प्रतिक्रिया दी थी उन्होंने भी ट्वीट करते हुए लिखा कि अर्णव की गिरफ्तारी प्रेस की आजादी पर हम’ला है जो लोग इस आजादी पर विश्वास करते हैं उन्हें इस मुद्दे पर बोलना चाहिए।
इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी के कई बड़े दिग्गज नेता जिनमें मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी अर्णव की गिरफ्तारी का बचाव किया था।
किसानों पर अत्या’चार क्यों नहीं दिख रहा इन नेताओं को?
किसान आंदोलन पर बीजेपी नेताओं की चुप्पी बता रही है के ये किन लोगों के साथ हैं, वल्कि हर दिन कोई न कोई भाजपा नेता किसानों को लेकर बिगड़े बोल, बोल रहा है. बीजेपी नेता लगातार किसान आंदोलन का बहिष्का’र करते हुए दिख रहे हैं तथा साथ ही उन्होंने किसानों द्वारा किये गए भारत बंद का भी विरो’ध किया था।
भारतीय जनता पार्टी के नेता कपिल मिश्रा ने भारत बंद का विरोध करते हुए कहा था कि मैं भारत बंद का ब’हिष्कार करता हूं कल सर दुकान खोलें फैक्ट्री खोलें।
ऐसे में यह सवाल अब लोगों के जहन में उठ रहा है कि पत्रकार अरुण गोस्वामी की गिरफ्तारी पर लोकतंत्र को ख’तरे में बताने वाली सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी किसान आंदोलन का लगातार वि’रोध क्यों कर रही है.
लोकतंत्र में अपनी मांग रखने वाले किसान पर ला’ठियां क्यों बरसाई जा रही है पत्रकार अर्नब गोस्वामी पर लाठी पड़ने पर अगर लोकतंत्र ख’तरे में पड़ सकता है तो क्या किसानों पर ला’ठी पड़ने पर लोकतंत्र के खत’रे जैसी बातें क्यो नहीं सामने आ रहीं हैं।