उत्तर प्रदेश: देश के उत्तर प्रदेश राज्य के शाहजहांपुर में होली का त्यौहार सबसे अलग तरीके से मनाया जाता है, यहां पर जूता मार होली खेली जाती है। इस होली को ‘लाट साहब की होली’ के दुसरे नाम से भी जाना जाता है। इन सब बातों में सबसे बढ़कर दिलचस्प बात तो ये है कि इस होली के पर्व के दौरान शहर की सभी मस्जिदों को ढक दिया जाता है।
शाहजहांपुर शहर में लाट साहब के जुलूस का आयोजन होता हैं। एक शख्स को लाट साहब बनाकर भैंसा-गाड़ी पर बैठा कर उसे जूते और झाड़ू मारे जाते हैं। जूते और झाड़ू मारते हुए ही उस शख्स को शहर भर में घुमाया जाता है। इस जुलूस के दौरान शहर के आम निवासी भी लाट साहब को जूते फेंक कर मारते हैं।
क्यों मनाई जाती है ऐसी होली
इस जुलूस में काफी बडे पैमाने पर लोग हिस्सा लेते हैं, लिहाजा कई बार ऐसे हादसे भी हुएं हैं कि रंग मस्जिद पर चला जाता है और विवाद की गंभीर परिस्थिति पैदा हो जाती है। इस वजह से ही यह फैसला लिया गया है कि होली के पर्व पर जुलूस के रास्ते में आनी वाली मस्जिदों को संपूर्ण रूप से ढक दिया जाएगा।
लठ मार होली मनाने अंग्रेजों के प्रति अपना आक्रोश प्रकट करने के लिए मनाई जाती है। इसमें एक व्यक्ति को अंग्रेज के प्रतीक स्वरूप ही लाट साहब बनाकर भैंसा गाड़ी पर बिठाया जाता है। फिर उस लाट साहब की जूतों और झाड़ू से पीटाई की जाती है।
होली के इस पर्व में पुलिस प्रशासन बेहद ही सतर्क है।शहर भर में सांप्रदायिक सौहार्द पर कोई गलत प्रभाव ना हो इसके लिए पुलिस और प्रशासन हर थाना स्तर पर पीस मीटिंग का आयोजन भी करता है। शहरवासियों और प्रशासन की आपसी सहमति के बाद मस्जिदों को संपूर्ण रूप से ढक दिया जाता है।
परंपरा दशकों पुरानी
शहर में जूते मार होली खेलने की यह परंपरा नई नहीं है बल्कि दशकों पुरानी है। जिले के पुलिस अधीक्षक आनंद ने दी जानकारी के मुताबिक, शहर में सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए बड़ी संख्या में पैरामिलिट्री फोर्स से लेकर पीएसी और कई जिलों की पुलिस फोर्स को भी बुला लिया गया है।
यह मस्जिदों और पूरे शहर की सुरक्षा करने के साथ ही ड्रोन के जरिए से जुलूस पर नजर भी रखेंगे। शाहजहांपुर शहर में लाट साहब के जुलूस का आयोजन होता हैं। एक शख्स को लाट साहब बनाकर भैंसा-गाड़ी पर बैठा कर उसे जूते और झाड़ू मारे जाते हैं।
जूते और झाड़ू मारते हुए ही उस शख्स को शहर भर में घुमाया जाता है। इस जुलूस के दौरान शहर के आम निवासी भी लाट साहब को जूते फेंक कर मारते हैं।
इस जुलूस में काफी बडे पैमाने पर लोग हिस्सा लेते हैं, लिहाजा कई बार ऐसे हादसे भी हुएं हैं कि रंग मस्जिद पर चला जाता है और विवाद की गंभीर परिस्थिति पैदा हो जाती है। इस वजह से ही यह फैसला लिया गया है कि होली के पर्व पर जुलूस के रास्ते में आनी वाली मस्जिदों को संपूर्ण रूप से ढक दिया जाएगा।
क्यों मनाई जाती है ऐसी होली? लठ मार होली मनाने अंग्रेजों के प्रति अपना आक्रोश प्रकट करने के लिए मनाई जाती है। इसमें एक व्यक्ति को अंग्रेज के प्रतीक स्वरूप ही लाट साहब बनाकर भैंसा गाड़ी पर बिठाया जाता है।
फिर उस लाट साहब की जूतों और झाड़ू से पीटाई की जाती है। होली के इस पर्व में पुलिस प्रशासन बेहद ही सतर्क है।शहर भर में सांप्रदायिक सौहार्द पर कोई गलत प्रभाव ना हो इसके लिए पुलिस और प्रशासन हर थाना स्तर पर पीस मीटिंग का आयोजन भी करता है। शहरवासियों और प्रशासन की आपसी सहमति के बाद मस्जिदों को संपूर्ण रूप से ढक दिया जाता है।
परंपरा दशकों पुरानी
शहर में जूते मार होली खेलने की यह परंपरा नई नहीं है बल्कि दशकों पुरानी है। जिले के पुलिस अधीक्षक आनंद ने दी जानकारी के मुताबिक, शहर में सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने के लिए बड़ी संख्या में पैरामिलिट्री फोर्स से लेकर पीएसी और कई जिलों की पुलिस फोर्स को भी बुला लिया गया है। यह मस्जिदों और पूरे शहर की सुरक्षा करने के साथ ही ड्रोन के जरिए से जुलूस पर नजर भी रखेंगे।
मस्जिदों में होली की शुभकामनाओं के होर्डिंग लगाने का प्रयोग
फिलहाल तो ऐसा भी सुनने में आया है कि इस बार की होली में पुलिस प्रशासन ने शहर में ढकी गई मस्जिदों में होली की शुभकामनाओं के होर्डिंग लगाने का नया प्रयोग करने की बात कही है.
जिससे ये मैसेज उजागर हो कि होली का त्यौहार आपसी हंसी खुशी भाईचारे का प्रतिक है। होली के इस पर्व पर पुलिस प्रशासन की निगरानी के साथ ही सुरक्षा व्यवस्था के लिए ड्रोन कैमरे भी इस लठमार जूलूस की निगरानी करेंगे।