What is contract farming in Hindi: केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में देशभर के किसान पिछले एक महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं। वही केंद्र सरकार का मानना है कि यह तीनों कृषि कानून कृषि के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव लेकर आएंगे जिससे कि अभी तक परंपरागत खेती कर रहा किसान वैश्विक पटल पर प्रतिस्पर्धा कर सके लेकिन किसान संगठन मानने को राजी नहीं है। हलाकि किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच कई वार्ताएं हुई है। लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला।
किसान केंद्र सरकार द्वारा लाए गए इन कानूनों से खुश नहीं है किसानों का मानना है कि यह तीनों काले कानून किसानों को दोयम दर्जे का नागरिक बना कर रख देंगे यही नहीं जहां एक ओर सरकार किसानों की आय दोगुनी होने की बात कर रही है वहीं किसान इसे झूठा करार दे रहे हैं किसानों का मानना है कि काले कानूनों से किसान व्यापारियों के नीचे दब जाएंगे यानी व्यापारी किसान की फसल का जो दाम तय करेगा वह किसान को लेना ही पड़ेगा।
Contract Farming का विरोध क्यों कर रहे हैं किसान?
आपको बता दें कि सितंबर महीने में केंद्र सरकार यह कानून लेकर आई थी जिनमें कृषि के क्षेत्र में तीन प्रमुख कानून लाए गए हैं जिनमें से एक कानून. कृषक सशक्तिकरण एवं संरक्षण कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार कानून, 2020.
3 कानूनों में से यह कानून कांट्रैक्ट फार्मिंग की बात करता है जिसमें सरकार का मानना है कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग से किसानों की आय बढ़ेगी जिससे देश का किसान सशक्त होगा लेकिन किसान कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की बात को मानने को तैयार नहीं है ऐसे में हमें यह समझना होगा कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग किसे कहते हैं, इसके अलावा किसानों को इससे क्या फ़ायदे और नुकसान हैं.
क्या होती है कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग? | What is contract farming [Hindi]
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग यानी अनुबंध खेती बता दें कि कांट्रैक्ट फार्मिंग जिसकी केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कानूनों में बात की गई है, को लेकर किसान विरोध प्रकट कर रहे हैं लेकिन इससे पहले कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को समझना बेहद जरूरी है।
कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग यानी अनुबंध खेती अगर साधारण भाषा में बात करें तो कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग खेती करने की एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसान और कांट्रेक्टर के बीच एक कॉन्ट्रैक्ट साइन होता है जिसमें कांट्रेक्टर किसान की जमीन का उपयोग अपने अनुसार खेती करने के लिए करता है।
जिसमें किसान की जमीन पर खेती का पूरा खर्चा जैसे बीज, सिंचाई, मजदूरी, परिवहन आदि का खर्च कांट्रेक्टर खुद ही वहन करता है. वही किसान की जमीन पर पैदा होने वाली फसल का दाम किसान को मिलता है.
यानी अगर और साधारण भाषा में बात करें तो जैसे एक चिप्स बनाने वाली कंपनी को आलू की जरूरत पड़ती है ऐसे में यह कंपनी किसी भी किसान की जमीन को लेकर उस पर आलू पैदा कर सकती है जिसमें किसान को उसकी फसल का दाम दिया जाता है और फसल कंपनी खेत से उठा लेती है।
ऐसे में हमने कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को तो समझा लेकिन इसके फायदे और नुकसान दोनों हैं दरअसल किसान कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग को लेकर विरोध जता रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी फसल का जो दाम कांट्रेक्टर तय कर देगा वह उन्हें लेना पड़ेगा। ऐसे में अब हम जानते हैं कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के क्या फायदे और क्या नुकसान हो सकते हैं।
क्यों बेहतर है कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग
देशभर के किसान इन दिनों कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हैं उनमें कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग की बात भी की गई है लेकिन कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के कई फायदे भी हैं जैसे कांट्रैक्ट फार्मिंग से किसानों को अपनी फसल का सही दाम मिलता है इसके अलावा अगर बाजार में फसल का दाम कम या ज्यादा होता है तो कांट्रैक्ट फार्मिंग में उस चीज का कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि किसान को उसकी फसल दाम मिलना तय होता है।
इसके अलावा कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में खेती के लिए अत्याधुनिक तकनीक का भी इस्तेमाल किया जाता है तथा कंपनी किसान को बेहतर सुविधाएं तथा खाद बीज इत्यादि भी उपलब्ध करवाती है तथा इसके अलावा एक महत्वपूर्ण लाभ जिसमें कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए किसान को अपनी फसल बेचने का एक बहुत बड़ा बाजार मिल जाता है।
क्या है कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के नुकसान
जहां किसान अपने आंदोलन में कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का विरोध जता रहे हैं तो उसमें जरूर कुछ खामियां भी होंगी ऐसे में यह जानना बेहद जरूरी है कि कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग किसानों के लिए क्या नुकसान पहुंचा सकती है।
आपको बता दें कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में किसानों पर बड़े व्यापारियों का एकाधिकार बढ़ सकता है तथा इसके अलावा बड़े खरीदारों द्वारा कम कीमत देकर भी किसानों का शोषण किया जा सकता है।
वहीं आपको यह भी बता दें कि भारत में 70 से 80% किसानों के पास बहुत छोटे भूखंड है जिससे उनको बड़े व्यापारी के साथ कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग करने में समस्या हो सकती है ऐसे में देश भर के किसान कांट्रैक्ट फार्मिंग का विरोध जता रहे हैं।
ऐसे में एक और जहां किसान कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग का विरोध जता रहे हैं वही कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग कई मायनों में किसानों के लिए फायदेमंद भी हो सकती है।