आज पूरी दुनिया के 200 से भी ज्यादा देश कोरोना वायरस की म’हामा’री झेल चुके हैं. 13 लाख से भी ज्यादा लोग इस म’हामा’री से शिकार हो चुके हैं. दुनिया भर के आंकड़े बताते हैं कि 75 हजार से भी ज्यादा लोग इसकी वजह से मौ’त के मुंह में समा चुके हैं. यह वक्त है जब सभी मतभेदों को भुलाकर एकजुट होकर मुस्तैदी से इस बीमारी से लड़ने की तो कुछ लोग ऐसे हैं जो इसके बहाने सा’म्प्रदा’यिकता को बढ़ावा देने में लगे हुए हैं.
इस पर (WHO) विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कड़ी आपत्ति जाहिर की है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी निदेशक डॉ माइकल रेयान ने साफ साफ कहा कि किसी भी हाल में कोरोना वायरस के मरीजों या सं’दिग्धों’ का धर्म, जाति, भाषा या किसी नस्ल के आधार पर बंटवारा नहीं किया जाना चाहिए.
तबलीगी जमात के बहाने वर्गीकरण
दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में तब्लीगी जमात से जुड़े लोगों में कोरोना का संक्रमण पाए जाने के बाद इस तरह के भेदभाव और नफरत की भावना ने ज्यादा जोर पकड़ लिया है. तब्लीगी जमात के आयोजन में शामिल होने वाले कई लोगों की उनके घर पहुंचने के बाद मृ’त्यु हो चुकी है.
इसके बाद से ही भारतीय न्यूज चैनलों को तो जैसे नफरत फैलाने का ह’थिया’र हाथ लग गया. इस तरह से बहस दिखाए जा रहे हैं कि जैसे की ये वायरस चीन की बजाय मुसलमानों ने ही तैयार किया हो और कुछ लोग तो इसे बाकायदा कोरोना जिहा’द का नाम देने लगे हैं.
ऐसे लोग जिन्हें जिहाद शब्द का सही सही मतलब भी नहीं पता होगा. एक ऐसा वातावरण तैयार किया जा रहा है जिसमें मुसलमानों के खिलाफ जी भर का मीडिया और सोशल मीडिया में जहर उगला जा रहा है.
माइकल रेयान ने साफ साफ कहा कि किसी को नहीं पता था कि ऐसी आपदा आएगी. ऐसे में अगर एक खास वर्ग के लोगों को कोरोना का सं’क्रमण हो जाता है तो इसमें गलत या अनैतिक जैसा कुछ भी नहीं है. इसके साथ ही रेयान ने यह भी साफ किया कि अगर किसी ने भी डॉक्टरों या चिकित्सा कर्मचारियों पर ह’मला किया है तो ये गलत है.
जो लोग जनता की सेवा में जान हथेली पर लेकर काम कर रहे हैं तो उनके साथ इस तरह का व्यवहार कतई उचित नहीं है. माइकल रेयान ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य सं’गठन लगातार इस्लामिकन नेताओं और विद्वानों के संपर्क में हैं ताकी इस तरह की घटनाएं या आयोजन ऐसे हालात में कहीं भी न होने पाए.
Source: NDTV